भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति इस वक्त अच्छी नहीं बताई जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि Indian economy की रफ्तार इस वक्त थम चुकी है। ऐसे में यहां हम आपको बता रहे हैं कि India की GDP और India की GDP growth rate को लेकर अब तक अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत विनायक बनर्जी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और विभिन्न विशेषज्ञों ने क्या-क्या कहा है। इसे पढ़कर 2019 में Indian economy की वर्तमान स्थिति का आकलन आप कर पाएंगे।
नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी का मत
अर्थशास्त्र का वर्ष 2019 को नोबेल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने India में gross domestic product को बढ़ावा देने के लिए गरीबों को अधिकाधिक पैसे मुहैया कराने का सुझाव भारत सरकार को दिया है। ऐसे में मांग में तेजी आयेगी और Indian economy फिर से रफ्तार पकड़ लेगी। बनर्जी के मुताबिक पैसे नहीं होने की वजह से गरीब टीवी और फ्रीज जैसी चीजें नहीं खरीद पा रहे हैं, जिससे मांग घटती जा रही है। राजकोषीय घाटे का तो लक्ष्य सरकार हासिल कर लेगी। बस जरूरत मांग को बढ़ाकर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने की है। केवल कॉर्पोरेट टैक्स को कम करने का जो कदम सरकार ने उठाया है, उससे तो मांग बढ़ना मुश्किल ही है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का ये है मानना
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, जो कि आर्थिक विशेषज्ञ भी हैं, उन्होंने India के GDP के growth rate को लेकर कहा है कि वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की economyतक पहुंचने के लिए 10 से 12 फीसदी सालाना growth rate की आवश्यकता है, मगर साल-दर-साल विकास दर गिरती ही जा रही है। मनमोहन सिंह ने Indian economy को संकट से उबारने के लिए सरकार को सुझाव दिया है कि वह श्रम प्रधान उद्योग स्थापित किये जाने पर ध्यान दे। भारत में मंदी के हालात बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर तक बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं और अर्थव्यवस्था को जो बीमारी लगी है, उसे ठीक करने हेतु इसके कारणों को खत्म करना जरूरी है।
रघुराम राजन ने क्या कहा?
भारत सरकार भले ही देश को cashless India की ओर लेकर बढ़ रही हो, मगर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने चेताते हुए कहा है कि राजकोषीय घाटे की वजह से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बेहद ‘चिंताजनक’ परिस्थिति की ओर बढ़ रही है। राजन के मुताबिक पिछले वर्ष तक बेहतर प्रदर्शन करने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ी सुस्ती आ गई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में growth rate जहां 6 साल के सबसे निचले स्तर 5% पर पहुंच गया, वहीं दूसरी तिमाही में उम्मीद है कि यह 5.3% के आसपास रहेगा। सरकार को विकास के नये नये स्रोत तलाशने चाहिए।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा
भारत के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि भूख सूचकांक में 117 देशो में भारत 102वें स्थान पर है, जो कि बेहद शर्मनाक और चिंतनीय है। देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति उपभोग का खर्च भी घटा है। इससे पता चलता है कि गरीबों का जीवन कितना कठिन हो गया है। वे अपना पेट तक नहीं भर पा रहे हैं। बेहद बुरे दौर से गुजर रही Indian economy को पटरी पर लाने के लिए भारत सरकार को अभिजीत बनर्जी के सुझावों को गंभीरता से लेना चाहिए।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति पराकला प्रभाकर का मत
Last 10 years में India के GDP का growth rate भले ही ठीक तरीके से बढ़ रहा था, मगर पिछले एक साल में इसके थमने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति और आंध्र प्रदेश सरकार के पूर्व संचार सलाहकार पराकला प्रभाकर ने भी टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत इस वक्त खराब है। निजी उपभोग 18 महीने के निचले स्तर 3.1% पर पहुंच गया है। वहीं, बेरोजगारी दर भी 45 वर्षों के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि, प्रभाकर ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों से निबटने के लिए सरकार के पास रणनीतिक दृष्टि है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की राय
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का मानना है कि बीते जून में समाप्त हुई इस वर्ष की पहली तिमाही में growth rate में गिरावट का मतलब यह नहीं निकालना चाहिए कि भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई है। India के 2018 के GDP की तुलना में इस बार आई गिरावट के लिए कई वजहों में से एक दुनिया की सभी economy में आई सुस्ती भी है। वित्त मंत्री की ओर से बीते कुछ समय में जो कदम घोषित किये गये हैं, निवेशकों और ग्राहकों के मूड पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा।
वित्त मंत्री का जवाब
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपने अनुमान में भारत सहित दुनिया के सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए विकास दर को कम किया है। फिर भी वर्तमान में भारत सबसे तेजी से विकास करती अर्थव्यवस्था के रूप में आगे बढ़ रहा है। सरकार की ओर से भी इसे और तेजी से विकसित करने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं। IMF ने वर्ष 2019 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के 6.1% रहने का अनुमान लगाया है, मगर उसकी उम्मीद के मुताबिक अगले साल यह सुधरकर 7% पर रहेगी। निर्मला सीतारमण ने कहा है कि इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत अब भी तुलनात्मक रूप से तेजी से विकास कर रहा है। दुनिया की सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने पर भी मैं इससे बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हो रही हूं। विकास दर भले ही 6 पर आ गई है, लेकिन उस क्षमता को हम कम नहीं आंक सकते, जो कि भारत इतनी विपरीत परिस्थति में होने के बावजूद दिखा रहा है।
निष्कर्ष
यहां Indian economy के बारे में Hindi में आपने विशेषज्ञों के विचार पढ़ें, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी की चपेट में बता रहे हैं, मगर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आत्मविश्वास हमें उम्मीद दे रहा है कि हालात जल्द सुधरेंगे।