कुपोषण मुक्त भारत के लिए शुरू हुआ है सुपोषित मां अभियान

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लोकसभा अध्यक्ष ओमप्रकाश बिरला ने राजस्थान के कोटा में बीते 1 मार्च को सुपोषित मां अभियान के नाम से एक government initiative की शुरुआत malnutrition-free India बनाने के उद्देश्य से की है। कोटा ओमप्रकाश बिरला का संसदीय क्षेत्र भी है।

प्रमुख बिंदु

  • इस GOI initiative में एक माह तक एक हजार महिलाओं को पोषक तत्वों से परिपूर्ण आहार दिए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस अभियान की योजना में मां और बच्चे के लिए बेहतर सेहत सुनिश्चित करने के लिए उनकी स्वास्थ्य चिकित्सा जांच भी शामिल है। साथ में रक्त के साथ दवाओं और प्रसव आदि के साथ अन्य बातें भी इसमें ध्यान में राखु जाएंगी।
  • अभियान का मकसद गर्भवती माताओं के साथ लड़कियों को भी पोषण से संबंधित मदद मुहैया कराना है। इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की देखभाल तो की ही जाएगी, साथ में बल्कि नवजात शिशुओं की देखभाल को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा।
  • पहला चरण जो इस अभियान का शुरू किया गया है, इसमें करीब एक हजार गर्भवती महिलाओं तक लाभ पहुंचाए जाएंगे। – एक परिवार से केवल एक ही गर्भवती महिला को सुपोषित मां अभियान में शामिल किये जाने की योजना है और नवजात बच्चों के लिए खास देखभाल की सुविधा भी उपलब्ध कराया जाना इस अभियान की योजना में शामिल है।
  • पहले चरण में इस अभियान के जितनी भी एक हजार गर्भवती महिलाएं शामिल होंगी, उनमें से हर महिला को संतुलित आहार की 17 किलो वाली एक किट प्रदान की जाएगी। जो चीजें इस किट में मौजूद होंगी उनमें गेहूं, मक्का, चना, गुड़, बाजरे का आटा, बड़ी सोयाबीन, दाल, दलिया, चावल, भुने हुए चने, मूंगफली और घी शामिल होंगे।

उद्देश्य एवं लाभ

  • हमारी आने वाली पीढ़ी पूरी तरह से स्वस्थ हो, इसके लिए ही सुपोषित मां अभियान नामक एक विशेष प्रकार के अभियान की शुरुआत देश में की गई है। आने वाली पीढ़ी के कंधे पर ही आगे देश का भविष्य टिका होगा।
  • किशोरियों के साथ गर्भवती महिलाएं भी सुपोषित मां अभियान से लाभान्वित हो पाएंगी और पोषण की कमी जैसी समस्या से अब आगे उन्हें नहीं जूझना पड़ेगा।
  • सबसे प्रमुख लक्ष्य सुपोषित मां अभियान का गर्भवती महिलाओं के साथ माताओं और बच्चों को पर्याप्त पोषण उपलब्ध कराया और संपूर्ण तरीके से उनके विकास को सुनिश्चित करना है।

चल रहे अन्य प्रयास

पहले से पोषण अभियान चला आ रहा है, जो कि पूर्व में राष्ट्रीय पोषण मिशन के नाम से चल रहा था। इसमें एक-एक करके सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के हरेक जिले को शामिल किया गया है। कई मंत्रालय मिलकर इस अभियान को चला रहे हैं और वर्ष 2022 तक कुपोषण मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से ही इस मिशन को चलाया गया है। लक्ष्य तो सभी के समान रहे हैं। ऐसे में इसे पाने के लिये एकीकृत योजनाओं में जो कमियां मौजूद हैं, उन्हें दूर करने के लिए पोषण अभियान की शुरुआत की गई थी। सभी तंत्रों के साथ हरेक घटक को पूरी तरह से इसका हिस्सा बनाया जा रहा है। आंगनवाड़ी सेवाओं के उपयोग के साथ इनकी गुणवत्ता में सुधार लाना और देश के कुछ चिन्हित जिलों में कुपोषण को दूर करना पोषण अभियान का एक प्रमुख उद्देश्य है। साथ ही गर्भवती महिलाओं के साथ बच्चे को जन्मे देने के बाद माताओं और उनके बच्चों का सम्पूर्ण विकास उन्हें पर्याप्त पोषण देकर सुनिश्चित करने की दिशा में इसके माध्यम से कार्य किये जा रहे हैं।

आगे की राहें

महिलाओं के शरीर को गर्भावस्था के दौरान बड़े पैमाने पर पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। उन्हें शारीरिक कमजोरी न हो और तनाव का भी सामना न करना पड़े, इसके लिए सरकार की ओर से जो अभियान चलाए जा रहे हैं, उनसे न केवल गर्भवती महिलाओं के पोषण की सुरक्षा सुनिश्चित हो पाएगी, बल्कि शिशुओं का स्वास्थ्य भी बेहतर हो सकेगा। आने वाले समय में ऐसे अभियानों को और गति प्रदान करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

मां यदि स्वस्थ होगी, तभी बच्चा भी स्वस्थ रह पाएगा। इसलिए सुपोषित मां अभियान का महत्व इस वजह से बहुत बढ़ जाता है। सरकार की ओर से शुरू किए गए इस अभियान को यदि पूरी गंभीरता से चलाया जाए तो इससे वांछित परिणाम जल्द प्राप्त होने की उम्मीद है।

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