वैदिक काल से यही सुनते आए हैं की जल ही जीवन है और नदी किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में जल का एक उत्तम स्त्रोत माना जाता है। भारत में उत्तर दिशा से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम दिशा तक नदियों का जाल बिछा हुआ है। भारत में नदियों को बनावट के आधार पर जल स्त्रोत के आधार पर अलग-अलग वर्गों में बांटा गया है।
नदियों का सामान्य वर्गिकरण:
- हिमालय से निकालने वाली नदियां :
जिन नदियों का उद्गम स्थल हिमालय है उनमें जल का स्त्रोत हिम नद और वर्षा का पानी दोनों ही शामिल है । वर्षा ऋतु में इन्हें बरसात से भरपूर जल मिलता है और गर्मी में हिमनदों के पिघलने से इन नदियों का जल बढ़ जाता है । इन नदियों में प्रमुख नदियां है :
हिमालय से निकालने वाली प्रमुख नदी है जो भारत और बांग्लादेश मिलाकर कुल 2510 किलोमीटर की दूरी तय करती है । इसके महत्व को देखते हुए इसे उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था का रीढ़ की हड्डी कहना भी गलत नहीं होगा।
यमुना:
गंगा की सहायक नदी है और यह 1375 किलोमीटर का सफर तय करके इलाहाबाद के प्रयाग क्षेत्र में गंगा में विलय हो जाती है ।
ब्रह्मपुत्र:
तिब्बत के मानसरोवर क्षेत्र से निकालने वाली यह नदी भारत के पूर्वी क्षेत्र को सींचती हुई 2900 किलोमीटर का रास्ता तय करती है। बांग्लादेश में जमुना के नाम से जानी जाती है ।
तिब्बत के पठार के ग्लेशियर से उत्पन्न होने वाली नदी नेपाल के मध्य से बहती है । हिमालय और शिवालिक पर्वत श्रृंखला को पार करते हुए राशि पानी नाम के स्थान पर एक संकरी घाटी का निर्माण करती है। इसकी लंबाई 1200 किलोमीटर है।
- प्रायद्वीपीय नदियां :
जो नदियां अपने जल के लिए पूरी तरह से वर्षा ऋतु के जल पर निर्भर होती हैं उन्हें प्रायद्वीपीय नदियों की श्रेणी में रखा जाता है। इन नदियों का जल वर्षा ऋतु और उसके कुछ समय बाद तक ही भरा होता है। इन नदियों की श्रेणी में गोदावरी,कृष्णा,कावेरी,महानदी,नर्मदा, ताप्ती, दामोदर तथा स्वर्णरेखा आदि को रखा जा सकता है ।
इनमें गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और महानदी पूर्व दिशा की ओर बहने वाली प्रमुख नदियां हैं और अंत में बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जातीं हैं। जबकि नर्मदा और ताप्ती पश्चिमी भारत की ओर से बहतीं हैं।
धार्मिक दृष्टिकोण:
वैदिक काल से कुछ नदियों का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व रहा है। इनमें गंगा और ब्रह्मपुत्र के अलावा निम्न नदियां प्रमुख हैं|
भारत के दक्षिणी भाग में बहने वाली यह नदी कर्नाटक से निकलती है। उत्तरी तमिलनाडू से होकर बहती हुई यह नदी बंगाल की खाड़ी में जा मिलती है ।
नर्मदा :
इस नदी को रेवा नदी भी कहा जाता है। भारत की तीसरी सबसे बड़ी नदी होने के साथ ही यह मध्य प्रदेश की जीवन रेखा भी मानी जाती है । पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई यह अरब सागर में मिल जाती है ।
भारत के जल मानचित्र में छोटी-बड़ी मिलकर कुल 51 नदियां हैं जो प्राचीन काल से आज तक अपने जल से जनभूमि को सींचती आ रहीं हैं।